शिक्षा के क्षेत्र में भारी भृस्टाचारी --किताबों के नाम स्कूल संचालक अभिभावकों के जेब पर डाका ,,?

किताबों के नाम पर अभिभावकों की जेब पर डाका 


जिला


 


              प्रकाश शर्मा की रिपोर्ट --08889179492 मन्दसौर


सकलेचा स्टेशनरी को नोटिस देकर निभाई औपचारिकता 


मंदसौर। कमीशन की बंदरबाट के चलते हर साल की तरह इस बार भी कोरोना काल में किताबों के नाम पर अभिभावकों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। स्थिति यह है कि दुगुनी कीमत में किताबें बेची जा रही है। इस मामले में शिक्षा विभाग को शिकायत का इंतजार है। हालांकि सकलेचा स्टेशनरी के संचालक को नोटिस देकर शिक्षा विभाग ने जरुर औपचारिकता निभाई थी। स्टेशनरी संचालक ने नोटिस का जवाब दिया है। जिसमें उसने एज्युकेशन पोर्टल के अनुसार किताबें क्रय करने और कम से कम डिस्काउंट किताबों पर मिलने की बात कहीं है। 


कोरोना काल में लोग घर बैठे हैं। आर्थिक स्थिति लोगों की खराब हो चुकी है। इसके बाद भी कुछ स्कूल संचालक कमीशन के चक्कर में अभिभावकों की जेब पर डाका डालने से बाज नहीं आ रहे। स्थिति यह है कि पहली और दूसरी कक्षा में सिर्फ कीताबों की छह हजार रुपए तक है। इसके अलावा कॉपियों की कीमत अलग है। इस मामले में शिक्षा विभाग कार्रवाई की बजाय शिकायत का इंतजार कर रहा है। हालंाकि विगत दिनों एक बार फिर स्टेशन रोड स्थित सकलेचा स्टेशनरी मार्ट को एक नोटिस भेजा गया था। जिसमें सीबीएसई और एमपी बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठयक्रम के अतिरिक्त अन्य पुस्तकों का विक्रय मनमाने दाम पर किए जाने के संबंध में पूछा गया था। इस मामले में सकलेचा स्टेशनरी के संचालक ने नोटिस का जवाब दे दिया है। हालांकि शिक्षा अधिकारी का कहना है कि लिखित में अभी तक कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। सिर्फ व्हाट्सएप पर मनमाने दाम वसूली की खबर के बाद नोटिस भेजा गया था। जबकि अभिभावक लगातार इस मामले में शिकायत कर रहे हैं। 


इनका कहना


लिखीत शिकायत नहीं मिली


अभी तक लिखित में किसी भी स्टेशनरी संचालक या स्कूल संचालक के खिलाफ शिकायत नहीं मिली है। व्हाट्सएप पर सकलेचा स्टेशरी की शिकायतें मिली थी। इसके बाद नोटिस दिया गया। नोटिस का जवाब उसने दे दिया है।


-आरएल कारपेंटर, शिक्षा अधिकारी 


हमारी कोई गलती नहीं


एज्युकेशन पोर्टल पर मौजूद किताबों के अनुसार माल मंगवाया जाता है। नोटिस मिला था, जिसका जवाब दे दिया है। इसमें हमारी कोई गलती नहीं है। कम से कम डिस्काउंट पर माल आता है। ग्राहकों को जितना फायदा दे सकते हैं, देते हैं।


-सौरभ सकलेचा, सकलेचा स्टेशनरी 


सिर्फ किताबें ५८०० की


बेटा डेस्टर स्कूल में पढ़ता है। उसकी किताबें लेने सकलेचा स्टेशनरी पर गया था। सिर्फ किताबों कीमत ५८०० रुपए बताई गई। इसके अलावा कॉपियां और अन्य स्टेशनरी अलग है। यह कोर्स स्कूल से बताया गया है।


-विमल पामेचा, अभिभावक


ढाई हजार की जगह छह हजार


सकलेचा स्टेशनरी में डेस्टर स्कूल की किताबों की कीमत छह हजार रुपए बताई है। जबकि वास्तविक कीमत ढाई हजार से ज्यादा नहीं है। इसकी शिकायत स्कूल में भी की। कोई कार्रवाई नहीं हुई।


-नितेश गुप्ता, अभिभावक


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