भोपाल। एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन एवं इंडियन फेडरेशन आफ मिडिया ने केन्द्र एवं राज्य सरकारों से निवेदन किया है कि इस महामारी में चौथे स्तंभ जो कि जिले एवं ग्रामीण अंचल के साथ शहरी क्षेत्र में समाचार के लिए काम कर रहे हैं तत्काल प्रभाव से आर्थिक सहयोग करें। मेरी नज़र में 80 प्रतिशत से अधिक दिहाड़ी मजदूर की श्रेणी में आते हैं ।
अब मैं बात करूंगा मध्यप्रदेश सरकार की पिछले एक साल से अधिक समय से छोटे समाचार पत्रों के विज्ञापन देयकों का भुगतान नहीं हुआ है उस पर कार्रवाई करनी चाहिए । कांग्रेस सरकार ने राज्य में केवल भुगतान ही नहीं रोका वरन् जो विज्ञापन मिलते थे उन्हें भी बंद कर दिया गया था मात्र कुछ बड़े मीडिया घरानों एवं चापलूस मंडली को विज्ञापन जारी किया और उनका भुगतान भी किया । खैर जो हो गया उसके लिए रोना बेकार है ।
आगे की सुध लेने की आवश्यकता है। कुछ तथ्य हम देख रहे हैं कि कोरोना योद्धाओं में डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सों, हेल्थ वर्करों, सफाई कर्मियों व पुलिस कर्मचारियों के कल्याण व सुरक्षा की बहुत बात हो रही है, यह अच्छी बात है लेकिन इस महामारी से पूरे देश-दुनिया को जगाने वाले इन वीर जांबाज पत्रकारों की पता नहीं क्यों? आज तक किसी सरकार/ राजनैतिक पार्टी/ स्वयंसेवी संगठनों/धार्मिक संस्थाओं या उद्योगपतियों ने भी कोई सुध नहीं ली है। जबकि ये लोग अपने आप को हाईलाइट करवाने के लिए पत्रकारों के मुरीद माने जाते हैं। कोरोना वर्ल्ड वार की पल-पल की खबरें/अपडेट देने में सबसे आगे पत्रकार अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।दुनिया को खबरों से रोशन करने वाले हमारे पत्रकार बंधु स्वयं चिराग तले अंधेरे में जी रहे है।आज पत्रकार भी 20-20 घंटे ड्यूटी देता है। वह और उसका परिवार भी कोरोना की चपेट में आ रहा है। पत्रकारों का परिवार भी भुखमरी का शिकार हो रहा है लेकिन ना तो केंद्र सरकार,ना ही दिल्ली सरकार और ना ही कोई अन्य राज्य सरकार इस ओर ध्यान दे रही है। क्यों? मैं अपने देश की सरकारों से पूछना चाहता हूं कि क्या पत्रकार इस देश का नागरिक नहीं है? क्या पत्रकार कोई इंसान नहीं है? क्या पत्रकारों की जान और काम का कोई महत्व या मोल नहीं है? मैंने अभी तक इस महामारी के भीषण दौर में सरकार को पत्रकारों की जान माल की रक्षा के लिए कोई जमीनी राहत पैकेज जारी करते नहीं सूना-देखा है? हां इतना जरूर है कि प्रधानमंत्री जी ने पत्रकारों के कार्यों की मौखिक तारीफ अवश्य की है।
परंतु पत्रकार को कोई सुविधा या सरकार से मदद नहीं मिली, मैं माननीय प्रधानमंत्री जी,केंद्रीय गृहमंत्री एवं राज्यों के सभी माननीय मुख्यमंत्रियों से माँग करता हूं कि आप भी तत्काल इन पत्रकारों की सुध लें।अपने विशेषाधिकार से आपदा फंड के तहत फौरी तौर पर देश के सभी शक्रिय पत्रकारों को ₹10000/- प्रति माह के हिसाब से तुरंत इनके खाते में पैसे डलवाए साथ ही इनके परिवार को 3 महीने का राशन अग्रिम भिजवाए, इसके अलावा इन्हें भी फील्ड ड्यूटी हेतु सुरक्षा किट उपलब्ध कराएं और इनका भी रैपिड टेस्ट करवाएं। बाकी मैं देश के सभी धनी और साधन संपन्न वर्ग व कॉर्पोरेट जगत से प्रार्थना करता हूं कि आप भी अपने स्तर पर पत्रकारों का ख्याल रखें।
याद रखें- यदि पत्रकार नहीं बचेंगे तो यहां आम और खास की भी कोई आवाज सुनने वाला नही है