मन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। निप्र 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेयमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
मन्दसौर। 14 अप्रैल को बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती सारा देश उत्साह से मनाता है। संघ के स्वयंसेवक भी प्रतिवर्ष विभिन्न स्तरों पर व्याख्यान व शाखाओं पर बौद्धिक कार्यक्रम करते ही हैं। इस वर्ष पूरे वैश्विक संक्रमण कोरॉना वायरस के चलते भारत में लॉक डाउन चल रहा है व सार्वजानिक समारोह प्रतिबंधित हैं इसीलिए एक अभिनव प्रयोग के रूप में स्वयंसेवकों ने अपने घर पर ही परिजनों के साथ अम्बेडकर जयंती का आयोजन किया ।
प्रत्येक स्वयंसेवक ने अपने घर पर परिवार शाखा लगाई व पूज्य डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात मालवा प्रांत के माननीय प्रांत संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री का वीडियो संदेश सभी ने सुना।
डाॅ. शास्त्री ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्शो पर उनके समरसता के मंत्र पर सभी को चलना चाहिए। वास्तव में देखा जाए तो भगवान बुद्ध के बाद धर्म, समाज, राजनीति और आर्थिक धरातल पर समग्र सामाजिक क्रांति लाने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वो है डॉ आंबेडकर। बाबा साहब ने समाज को दोषमुक्त बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और इसलिए वो महात्मा बुद्ध के उत्तराधिकारी है। ये भी अत्यंत सौभाग्य की बात है कि उनका जन्म मालवा प्रांत के महू में ही 14 अप्रैल 1891 में हुआ था उनके पिताजी सेना में ही कार्यरत थे। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक भेदभाव व अपमान सहन किया। इस सब से विचलित न होकर उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की फिर भी जातिगत भेदभाव का सामना उन्हें हर स्थान पर करना पड़ रहा था पर बाबा साहब समानता व समरसता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे । पूज्य बाबा साहब केवल उपेक्षित समाज के नहीं अपितु पूरे देश के सभी वर्गो के नेता थे।
उनकी योग्यता के आधार पर स्वतंत्रता के बाद वे देश के कानून मंत्री बने। संविधान सभा का चेयरमैन के रूप में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सभी बारीकियों को देखते हुए कठोर परिश्रम करके संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया। वे हिंदू कोड बिल लाए, सबसे अच्छी बात थी कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त हो इस हेतु कानूनी प्रावधान किये। 1956 में सेमेटिक धर्मों के दबाव व प्रलोभन को ठुकरा कर बौद्ध धर्म स्वीकार किया डॉ आंबेडकर जी ने तीन सिद्धांत बनाए जिस पर उन्होंने हमेशा जोर दिया - व्यक्ति स्वतंत्रता, समता व बंधुता। ये भगवान बौद्ध के विचारो से लिए गए थे जिन पर डॉ आंबेडकर जी का पूरा जीवन एक तपस्या के रूप में चला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इन तीन आधार पर 1925 से निरंतर कार्य करता आ रहा है वास्तव में डॉ आंबेडकर जी जो व्यवहार समाज में देखना चाहते थे वह संघ की शाखा में और परिवारों में दिखता है। आज के समय में समरसता के लिए बाबा साहब अम्बेडकर जी हम सभी के आदर्श है।
आज उनके जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आह्वान पर नीमच, मन्दसौर व गरोठ जिले के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों में बाबा साहब की जयंती मनाई गई ।
इस अवसर पर परिवार में बच्चो द्वारा गीत, चित्रकला, रंगोली आदि प्रयोग भी किये गए। कार्यक्रमों का समापन समरसता संकल्प मंत्र से किया गया ।
अंकित पाण्डेय
मन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंतीमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंतीमन्दसौर विभाग के 4000 से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने घर पर मनाई बाबासाहब आंबेडकर जयंती
• प्रकाशचंद्र शर्मा संपादक 08889179492 mail-- burningpolytics@rediffmail